यूपी में बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच सीएम योगी को खुला खत: मूल समस्या के कारण और निवारण…
लोकसभा चुनाव 2024 में अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाने के बाद से यूपी की राजनीति एक गंभीर उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। कोई इसके लिए गोरखनाथ पीठ के महंत और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली पर उंगली उठा रहा है तो कोई भाजपा के अंदरूनी कलह को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहा है। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि पार्टी ने उम्मीदवारों के चयन में चूक कर दी।
लखनऊ से लेकर दिल्ली तक चुनाव परिणामों की समीक्षा बैठकों के साथ कयासों का दौर भी जारी है। फिलहाल, पार्टी का फोकस उपचुनावों पर है और ऐसा माना जा रहा है कि इन चुनावों के नतीजे स्थिति को कहीं ज्यादा स्पष्ट कर देंगे लिहाजा अनुमान है कि उसके उपरांत हाईकमान कोई बड़ा तथा ठोस निर्णय ले।
बहरहाल, राजनीति की उलटबांसियां अपनी जगह किंतु जन आकांक्षाएं और जनभावनाएं अपनी जगह। राजनेताओं के लिए जनता ही अंतत: जनार्दन साबित होती है क्योंकि उसी के मत से सरकारें बनती और बिगड़ती हैं। नेता चाहे जितनी चालें चल लें परंतु वोट की चोट उसे अहसास करा ही देती है कि तुरुप का इक्का किसके हाथ है।
ऐसे में जनअपेक्षाओं तथा जनभावनाओं का जानना बहुत जरूरी होता है। जो पार्टी या नेता इससे अनभिज्ञ रहता है, उसके लिए अपेक्षित परिणाम मिलना मुश्किल होता है। यूपी की जनता भी कुछ यही इशारे कर रही है। समय रहते समझ में आ जाएं तो ठीक अन्यथा 2027 बहुत दूर नहीं है।
2024 के लोकसभा चुनाव परिणामों को लेकर यूपी के लोगों की भावनाएं और उनकी अपेक्षाएं क्या हैं, उसे लेकर पेश है सीएम योगी के सामने एक खुला खत-
माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार योगी आदित्यनाथ जी! आपकी निष्ठा, कर्तव्यपरायणता, ईमानदारी, नैतिकता, मेहनत तथा लगन को लेकर शायद ही किसी को कोई शक हो किंतु इसमें भी दोराय नहीं है कि भ्रष्टाचार के बाबत जिस जीरो टॉलरेंस की नीति का ढिंढोरा आपकी सरकार द्वारा 2017 में पीटा गया वह आज सात साल की सत्ता के बावजूद निरर्थक साबित हो रहा है।
माननीय मुख्यमंत्री जी, क्या आपको ज्ञात है कि आपकी भ्रष्टाचार को लेकर अपनाई गई जीरो टॉलरेंस की नीति प्रदेश के अधिकारी एवं कर्मचारियों के लिए बेहद मुफीद साबित हुई है क्योंकि उसे नौकरशाही ने अपना सबसे बड़ा हथियार बना लिया है।
आज स्थिति यह है कि उसी जीरो टॉलरेंस नीति के बहाने अधिकारी एवं कर्मचारी पहले से अधिक रिश्वत यह कहकर वसूल करते हैं कि सरकार सख्त है इसलिए रिस्क भी अधिक है।
योगी जी! क्या आपको पता है कि रिश्वत के लिए सर्वाधिक बदनाम पुलिस महकमे की बात छोड़ भी दें तो आवास-विकास, विकास प्राधिकरण, बिजली विभाग, उद्योग, लोक निर्माण विभाग से लेकर परिवहन, तहसील, सिंचाई और शिक्षा तक में भ्रष्टाचार का बोलबाला है।
बेशक ये विभाग सदा से भ्रष्ट थे, और पूर्ववर्ती सरकारों में इनके अधिकारी एवं कर्मचारियों का आमजन के प्रति रवैया खासा खराब था परंतु कड़वा सच यह है कि आज भी स्थित जस की तस है। इसमें कोई अंतर कहीं दिखाई नहीं देता। दिखाई देता है तो केवल इतना कि नौकरशाह अब ‘जीरो टॉलरेंस’ की आड़ में जमकर टॉर्चर कर रहे हैं। यकीन न हो तो किसी भी एक विभाग को आप स्वयं चुन लीजिए, और उसकी सच्चाई जानिए। शर्त यह है कि किसी भी तरह आपके अभियान की भनक न लगे। गोपनीयता इसके लिए बेहद जरूरी है।
प्रदेश भर के सभी सरकारी विभागों में चल रहे भ्रष्टाचार के बड़े खेल का सिलसिलेवार ब्यौरा बाद में लेकिन उससे पहले वो सवाल जो जनता के मन में बैठे हैं और जिन्हें लेकर जनता आपसे बहुत उम्मीद लगाए बैठी थी परंतु नतीजा आज तक शून्य नजर आता है।
सबसे पहले बात लखनऊ के गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की
माननीय मुख्यमंत्री जी! सर्वविदित है कि समाजवादी पार्टी के शासनकाल में अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते हजारों करोड़ रुपए का गोमती रिवर फ्रंट घोटाला हुआ। आपने अपनी पहली पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनने के साथ ये ऐलान किया था कि गोमती रिवर फ्रंट घोटाले का कोई अपराधी बच नहीं सकेगा और जल्द से जल्द सारे घोटालेबाज जेल के अंदर होंगे।
सीबीआई ने इस मामले में कुल 189 लोगों को आरोपी बनाया लेकिन आज तक सतही कार्रवाई के अलावा कुछ नहीं हुआ। अगर पकड़े भी गए तो वो लोग जिन्हें गुर्गे कहा जा सकता है। कोई भी सरगना या मास्टर माइंड आज तक गिरफ्त में नहीं आया। सच कहें तो आज वही आप पर और आपकी सरकार पर हमलावर हैं, लेकिन आप कुछ नहीं कर पा रहे। जनता जानना चाहती है कि ऐसा क्यों।
हजारों करोड़ रुपए का घोटाले करने वाले अब तक सरकार की पकड़ से दूर क्यों हैं और सरकार इसमें क्या कर रही है।
माननीय योगी जी! आप भली भांति जानते हैं कि कोई भी बड़ा घोटाला सत्ता का संरक्षण पाए बिना संभव ही नहीं है। सत्ता का संरक्षण किसी भी घोटाले को तब मिलता है जब सरकार पर काबिज लोगों के निजी स्वार्थ उससे पूरे होते हों, तो फिर आज तक गोमती रिवर फ्रंट घोटाले के संरक्षणदाताओं का क्यों कुछ नहीं बिगड़ा।
मायावती के कार्यकाल का नोएडा पार्क घोटाला
अखिलेश यादव के कार्यकाल से पहले मायावती के शासनकाल में नोएडा का पार्क घोटाला सामने आया। हजारों करोड़ रुपए के इस घोटाले में भी बड़े-बड़े लोगों की संलिप्तता रही है। इस पार्क में लगाए गए पत्थरों के हाथी और बहनजी की मूर्तियों पर किसी आम आदमी की सोच से भी परे जाकर पैसा खर्च किया गया। पहले अखिलेश यादव ने कहा कि इस घोटाले का कोई आरोपी बच नहीं सकेगा। फिर आपकी सरकार ने उम्मीद जगाई किंतु राजनीति के बियाबान में इस घोटाले की सच्चाई कहां खो गई, कुछ पता नहीं लगा।
आज बहिन जी राजनीतिक हैसियत भले ही पहले जितनी न रह गई हो लेकिन उनके ठाठ-बाट और शानो-शौकत में कोई कमी नहीं है। पत्थरों के बने बुत बोल पाते तो बताते कि घोटालेबाज आज भी मौज कर रहे हैं। सत्ता का संरक्षण उन्हें भी प्राप्त था, और क्यों प्राप्त था इसे अब दोहराने की दरकार नहीं रह गई।
आय से अधिक संपत्ति के मामले भी ठंडे बस्ते में
माननीय मुख्यमंत्री जी! इसी प्रकार कुछ कद्दावर नेताओं पर आय से अधिक संपत्ति के मामले दर्ज हुए थे। ये मामले कोर्ट-कचहरी तक भी पहुंचे किंतु नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा। आपकी सरकार कह सकती है कि कुछ को न्यायालय से राहत मिल गई और कुछ लंबित हैं, लेकिन सवाल यह भी है कि न्यायालय से राहत कैसे मिल गई। मामले अब तक लंबित क्यों है। इन मामलों में पर्याप्त पैरोकारी क्यों नहीं की जा रही, और की जा रही है तो उसकी स्थिति क्या है।
योगी जी! आप ही बताइए कि क्या ये सब जानने का जनता को कोई अधिकार नहीं है। क्या जनता को आपसे जो अपेक्षाएं थीं, वो गलत थीं। यदि वो सही थीं तो हजारों-हजार करोड़ रुपया डकार जाने वाले आज तक बेनकाब क्यों नहीं हुए। उल्टा क्यों आज तक वो आपको, आपकी नीतियों को, आपके काम को तथा आपकी पार्टी को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं।
शायद इसलिए कि उन्हें इसके लिए भरपूर मौका मिल रहा है। अब विचारणीय प्रश्न यह है कि ये मौका कौन दे रहा है और क्यों दे रहा है।
पहले पत्र में इतना ही। बाकी ये सिलसिला जारी रहेगा ताकि सनद रहे और वक्त जरूरत काम आए, क्योंकि यूपी को 2027 के लिए भी आपसे बहुत उम्मीदें हैं। दरअसल, सवाल चुनावों में जीत-हार का नहीं उस भरोसे का है, जो आपने दिया है और जो अभी टूटा नहीं है।